जैसा आप सबों के संज्ञान में है कि ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ ट्रस्ट के रूप में एक पंजीकृत संस्था है जो देश में संस्कार एवं सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन हेतु कई प्रकल्पों पर कार्य कर रही है। काउंसिल के मुख्य उद्देश्यों में से एक है- साहित्य का सृजन करना भी। काउंसिल कुंभ के ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्त्वों पर भी कार्य करती रही है। इसी क्रम में वर्ष 2025 में हुए तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ पर एक कॉफीटेबल बुक (साइज- 12/18 इंच) ‘महाकुंभ का महामंथन’ भी काउंसिल ने तैयार किया है।
काउंसिल का मानना है कि कुंभ का संबंध समुद्र मंथन से है। ऐसे में कुंभ के दौरान पूज्य संतों के श्रीमुख से निकले हर एक शब्द को हम देवताओं के शब्द मानते हैं। ये वो शब्द हैं जिनसे राष्ट्र और विश्व को दिशा मिल सकती है, इसलिए रामायण रिसर्च काउंसिल पूज्य संतों के हर एक शब्द के साथ कुंभ के दौरान हुई प्रमुख गतिविधियों को भविष्य के लिए एक दस्तावेज बनाकर संग्रहित करने का कार्य कर रहे हैं।
विषय वर्ष 2025 में हुए तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ का हो, तो 144 वर्ष बाद आए इस संयोग के क्या ही कहने। इसलिए ‘महाकुंभ का महामंथन’ को हमने हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित किया है और इसे विश्व-स्तर पर प्रसार करने जा रहे हैं ताकि जो सनातन परिवार किन्हीं कारणों से ऐसे दैवीय एवं पवित्र आयोजन में शामिल नहीं हो पाते हैं, वो इसका अध्ययन कर सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी को इस बारे में बता सकें।
हमने इसके डिजिटल प्रसार के लिए www.mahakumbhinfo.com की भी शुरूआत की है। आशा है कि आगे चलकर यहां आपको वो सारी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी, जिसे आप कुंभ की दृष्टिकोण से जानना चाहते हैं।
माननीय प्रधानमंत्री जी का विशेष धन्यवाद जिन्होंने काउंसिल की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती ऋतु ठाकुर जी के आग्रह पर अपना संदेश प्रदान किया है।
इसलिए हमने पूरे महाकुंभ के आयोजन को भविष्य की दृष्टि से संजोने का निश्चय किया। ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ ट्रस्ट के अंतर्गत हमने तत्कालीन मेलाधिकारी श्रीमान विजय किरण आनंद जी से महाकुंभ के दौरान कोई भी छोटी सी जगह प्रदान करने का निवेदन किया था। उनका आभार कि ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ को सेक्टर 23 में एक स्थान प्रदान किया गया।
हमारा लक्ष्य ही था कि हमें पूरे महाकुंभ के दौरान की गतिविधियों को एक दस्तावेज में संग्रहित करना था और यह हमने उनको बातचीत के दौरान बताया भी था। इसके लिए हमने ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ के अंतर्गत 30 सदस्यों की एक टीम बनाई। हमारे भाई श्री रौशन सिंह और श्री पिताम्बर मिश्र जी के नेतृत्व में ये टीम लगातार महाकुंभ के दौरान की गतिविधियों को संग्रहित करती रही। हम यह मानते हैं कि पूरे महाकुंभ को कवर करने के लिए 30 सदस्य क्या 300 सदस्य भी कम होते। लेकिन ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ के साधन एवं संसाधन को ध्यान में रखते हुए हम स्वयं से जितना कुछ कर सकते थे, हमने अपना सौ फीसदी देने का प्रयत्न किया है।
हम इसे ‘महाकुंभ का महामंथन’ नाम दे रहे हैं, क्योंकि जैसा हमने पहले भी बताया और सामान्यतया सब जानते हैं कि महाकुंभ का संबंध भी समुद्र मंथन से है और जैसे समुद्र मंथन से हलाहल विष, कामधेनु गाय, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा अप्सरा, माता लक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चंद्रमा, पांचजन्य शंख, पारिजात वृक्ष, शारंग धनुष, धन्वन्तरि और अमृत निकला, उसी तरह इस महाकुंभ में भी कई ऐसे विचार निकले जो संतवाणी थी, नागाओं और साधुओं के पवित्र अमृल्य संदेश थे। राष्ट्रहित और विश्वहित को लेकर कई अमृत चर्चा थी। इसलिए हम इसे ‘महामंथन’ शब्द दे रहे हैं। जैसे हम अपने बड़ों के हर एक कहे शब्दों को स्मृति में जीवंत रखते हैं, समय-समय पर उसका उदाहरण देते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी को उसका अनुभव साझा करते हैं, उसी तरह 144 वर्षों बाद के महासंयोग पर आयोजित महाकुंभ के दौरान निकले हर एक संतवाणी को हम ‘महामंथन’ समझकर ग्राह्य करना चाहते हैं, ताकि वह हमारे सनातन, हिन्दुत्व, हिन्दुस्तान ही नहीं, विश्व के काम आवे।
अगला कुंभ महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित हो रहा है। नासिक में यह कुंभ मेला 2027 में लगेगा। यह मेला 17 जुलाई, 2027 से शुरू होकर 17 अगस्त, 2027 तक चलेगा। इस मेले को सिंहस्था कुंभ भी कहा जाता है और यह गोदावरी नदी के तट पर आयोजित किया जाएगा।
नासिक में कुंभ मेले का आयोजन 12 वर्षों में एक बार होता है, और यह भारत के चार प्रमुख कुंभ स्थलों में से एक है, अन्य तीन प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन हैं। नासिक-त्र्यंबकेश्वर में कुंभ मेला 2027 में 17 जुलाई को शुरू होगा और 17 अगस्त को समाप्त होगा। इस दौरान, त्र्यंबकेश्वर में नागा साधु स्नान करेंगे और लोग पंचवटी में भी स्नान करेंगे।
कुंभ मेले के दौरान, नासिक शहर में भारी भीड़ उमड़ती है और अनुमान है कि 12 से 14 करोड़ श्रद्धालु इस मेले में भाग लेंगे। इसलिए, मेले के सुचारू आयोजन के लिए सरकार द्वारा व्यापक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इसमें सड़कों का विस्तार, रेलवे और बस सेवाओं में सुधार, अस्थायी आवास, स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा व्यवस्था शामिल हैं।
आपको बता दें कि कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम भी है, जिसमें दुनिया भर से लोग भाग लेते हैं।
वर्तमान में आपके बीच वर्ष 2025 में प्रयाग में हुए महाकुंभ पर चित्र सहित तैयार साहित्य ‘महाकुंभ का महामंथन’ को जनमानस में ला रहे हैं। शीघ्र ही हम पूरा विवरण इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी लाएंगे।